Menu
blogid : 23771 postid : 1340423

मुर्दों के शहर में बस एक और कत्ल हुआ है!

लिखा रेत पर
लिखा रेत पर
  • 79 Posts
  • 20 Comments

कई रोज पहले दिल्ली में यमुनापार के मानसरोवर पार्क इलाके में आदिल उर्फ मुन्ने खान ने रिया पर ताबड़तोड़ चाकू से वार किया था। एकतरफा प्यार में सनकी आशिक ने रिया गौतम की हत्या कर दी। सड़क पर पब्लिक देखती रही और आरोपी दिनदहाड़े एक लड़की को इस दुनिया से विदा कर गया। अब बात आती है कि इतना सब होने के बाद भी पुलिस कहां थी? तो पुलिस वाले हमेशा की तरह अपनी ड्यूटी कर थे। मगर कोई एक यह सवाल क्यों उठाता कि वहां खड़ी पब्लिक क्या कर रही थी? पुलिस तो हर घटना के बाद महिला सुरक्षा का आश्वासन देती है। महिलाओं की सुरक्षा का आश्वासन 2012 के गैंगरेप केस के बाद भी दिया गया था।

acid attack

2012 गैंगरेप के बाद धरने-प्रदर्शन और आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ दिल्ली की ज़िंदगी ने सही से सांस भी नहीं ली थी कि मुंबई में प्रीति राठी एसिड अटैक हो गया, जिसका दर्द राजधानी दिल्ली ने भी झेला था। प्रीति का घर दिल्ली में था, वो मुम्बई भारतीय नौसेना में नर्स का कोर्स करने गयी थी। उसका पीछा करते हुए आरोपी अंकुर पंवार ने मुंबई रेलवे स्टेशन पर प्रीति के बदन पर तेजाब उड़ेल दिया था। प्रीति की चीखों से सारा देश दहल गया था। बाद में पता चला आरोपी अंकुर प्रीति से एकतरफा प्रेम करता था, जिस कारण उसने इस वीभत्स कांड को अंजाम दिया।

कहने के लिए तो हम कह देते हैं कि दिल्ली दिलवालों का शहर है पर सच लिखें, तो ये मुर्दों की बस्ती है।

शायद अभी तक लोग पिछले साल की बुराड़ी की वो घटना नहीं भूले होंगे, जिसमें सुरेंद्र ने करुणा पर कैंची से 30 के करीब वार किये थे। यानी करुणा की आखिरी सांस तक वो कैंची चलाता रहा। यही नहीं कत्ल के बाद उसने करुणा का वीडियो भी बनाया और डांस भी किया। कमाल देखिये, यह वारदात सुबह करीब 9 बजे हुई थी। गाड़ी सवार व पैदल यात्री सब देखते रहे कि लड़की को घसीटते हुए आरोपी ले जा रहा है, लेकिन किसी ने उसे बचाने की कोशिश नहीं की।

उपरोक्त सभी मामलों में पता चला कि आरोपी को लगता था कि लड़की किसी और से प्यार करती है। इसी बात का बदला लेने के लिए उसने कई बार लड़की पर चाकू, कैंची से वार किया या तेजाब फेंका। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें, तो इस साल 31 मई तक महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की 1412, अपहरण की 1554, दुष्कर्म की 836 और झपटमारी की 3717 वारदात हो चुकी हैं।

मैंने पहले भी लिखा था। दरअसल, 90 के दशक में जब ग्रीटिंग कार्ड पर इस तरह की शायरी चल रही थी कि ‘चांद आहें भरेगा, फूल दिल थाम लेंगे, हुस्न की बात चली, तो सब तेरा नाम लेंगे’, उसी दौरान जीत फिल्म का एक डायलाग बड़ा प्रसिद्ध हुआ था कि जब नायक ने दूर जाती नायिका से कहा- काजल तुम सिर्फ मेरी हो…। मैं उस समय बहुत छोटा था, इसके मायने नहीं समझ पाया। हां, कई साल बाद मैंने यह डायलाग पता नहीं कितने लोगों की मोबाइल रिंगटोन, ऑटो, डीजे आदि में सुना, तो हमेशा यही सोचता रहा कि आखिर काजल दूसरे की क्यों नहीं हो सकती?

काजल, यानि कोई भी एक लड़की, जो कोई कुर्सी, मेज, भूमि का टुकड़ा या खरीदी गयी प्रॉपर्टी नहीं है। उस लड़की के अपने सपने, अपनी सोच, मर्यादाएं, सीमाएं समेत सबसे बड़ी बात उसकी अपनी ज़िंदगी होती है, तो क्या उन पर कोई भी कब्ज़ा जमा लेगा? उन्मुक्तता का अधिकार सबको है। मुझे भी और आपको भी। सबकी अपनी-अपनी पसंद और चाहतें भी होती हैं। ज़रूरी नहीं कि जो हमें पसंद हो, वो सब दूसरों को भी पसंद हो? क्यों यहां लोग दूसरे की उन्मुक्तता पर चाकू से वार पर वार कर रहे हैं?

‘यहां की सड़कों पर इंसान नहीं ज़िंदा, सांस लेते मुर्दे चलते हैं। भला मुर्दों को किसकी चिंता होगी?’

कारण यहां की सड़कों पर इंसान नहीं ज़िंदा, सांस लेते मुर्दे चलते हैं। भला मुर्दों को किसकी चिंता होगी? यहां दिन दहाड़े हमला होता है, सांसों पर, सपनों पर। खैर रिया कोई पहली लड़की नहीं है, जो इस तरह के हादसे का शिकार हुई। अखबार के किसी न किसी पेज पर हर दूसरे-तीसरे दिन ऐसी एक घटना ज़रूर मिल जाती है, जो आमतौर पर ‘कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर साधा निशाना’, ‘लालू ने मोदी को ललकारा’ आदि राजनीतिक उथल-पथल की खबरें पढ़ते समय सुबह के चाय के प्याले के नीचे दब जाती है।

नतीजा एक बार फिर हमारे सामने है। फिर लोग अपनी लड़कियों को समझाने लगेंगे… बेटी ज़माना खराब है। घर से बाहर निकलने से पहले उसे डराने लगेंगे। फिर सुरक्षा और आश्वासन का दौर चलेगा। चमड़े की जीभ हिला दी, हमारा काम खत्म हो गया। अब जिसे अपनी सुरक्षा की चिंता है, वो समझे। हमें मोबाइल पर कैंडी क्रश खेलना है।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh