Menu
blogid : 23771 postid : 1325418

बात सिर्फ अजान की ही क्यों?

लिखा रेत पर
लिखा रेत पर
  • 79 Posts
  • 20 Comments

सोमवार की सुबह भी हर रोज की तरह हुई थी. बस फर्क इतना था आज किसी नेता के बयान के बजाय एक गायक और अभिनेता का बयान था. हर न्यूज चैनल ने अपने-अपने तरीके से इस बयान को ठोक-पीटकर इस लायक बना लिया था कि टीआरपी में कोई कमी न रह जाये. शाम को वही पत्रकार बन्धु इस बयान को विवादित बता रहे थे जो कुछ दिन पहले अभिव्यक्ति की मौखिक आजादी के पक्षधर थे. खैर सबकी तरह मैंने भी फेसबुक पर लाइक बटोरे और शाम होते-होते घर पहुंचा, मंदिर में आरती बज रही थी, गाँव से माँ का फोन आया गया. लाउडस्पीकर की आवाज इतनी तेज थी कि ढंग से कुछ सुनाई नहीं दिया. मुझे नहीं पता वो आरती किस खुशी में बज रही थी पर इतना पता है मामला यदि धार्मिक शोर से ही जोड़ा जाये तो सिर्फ बात अजान की ही क्यों?

आज सुचना प्रोधोगिकी का जमाना है सबके अपने-अपने माइंड सेट है. हर कोई मस्तिक्ष में एक लकीर खींच कर बैठा है इससे आगे सोचा तो धर्म घात. मेरे ख्याल से समस्त धार्मिक गुरुओं के वर्तमान समय से अच्छे दिन कभी न आये न आयेंगे! सोनू निगम ने जो लिखा कुछ लोगों को उसमें सिर्फ अजान दिखाई दी जबकि सोनू ने यह भी लिखा कि अपने धर्म को मनवाने के लिए ही इन मंदिरों, मस्जिदों के संचालक ऐसा करते हैं. आखिर कौन परेशान नहीं होता रमजान के महीने में रात के 2 बजे से सुबह तक सहरी का टाइम हो गया, सहरी खा लीजिये, पी लीजिये का शोर होता रहता है. क्या यह हमारा धर्म है? शाम को 7 बजे से माता का जागरण, जगराता शुरू होता है सुबह तक कान फोडू शोर के साथ तांडव चलता रहता है छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक को कितनी परेशानी होती होगी आप अंदाजा लगा लीजिये! क्या यह हमारा धर्म है?

मोहर्रम के नाम पर पूरी रात सड़कों पर तमाशा होता है उस समय उनके चेहरों की मस्ती बता रही होती है कि उन्हें शहीद-ए-करबला हजरत इमाम हुसैन की शहादत के वाकिये से कोई वास्ता नहीं होता बस उनका वास्ता होता तो केवल और केवल अपने हुडदंग और मस्ती से, जिसे धर्म के नाम पर जबरदस्ती बाकी लोगो पर थोपा जा रहा होता है. एक दूसरों के धार्मिक स्थल के करीब पहुँच कर तो इस तरह की हुडदंग और भी बढ़ जाती है, देश में सबसे अधिक दंगे इस तरह की प्रवित्तियों के कारण भी होते हैं.

अक्सर धार्मिक अनुष्ठान के नामों पर सड़कों पर कब्जा कर लिया जाता है. बात चाहे मंदिर के बाहर लगने वाली श्रद्धालुओं की लम्बी-लम्बी कतारों की हो या फिर मस्जिदों के बाहर नमाज अता करने वालों की, इस कार्य में सभी धर्मों के मानने वाले बराबर के शरीक हैं. दो दिन पहले ही शाहदरा मेट्रो स्टेशन के पास झांकी के नाम रोड जाम हो रहा था. इन धर्म के ठेकेदारों को इस बात से जरा भी परवाह नहीं होती की सड़क पर चलने वाले सामान्य नागरिकों का भी उस सड़क पर उतना ही हक है जितना इनका. एम्बुलेंस में मरीज तडफे या किसी को जरूरी काम जाना हो, बस इन्हें तो अपने धार्मिक स्वांग से मतलब. शुक्रवार अर्थात जुम्मे की नमाज के नाम पर भी सड़कों पर कब्जा होता रहा है. मुझे नहीं पता कौन सा धर्म कहता है जाओं मेरे नाम पर अन्य लोगों को परेशान करो? बस हिंदुस्तान जैसे धर्म प्रधान देश में हर रोज इस तरह कडवे घूँट पीना मजबूरी बन गया है, क्योंकि जो विरोध करता है उसे धर्म विरोधी ठहरा दिया जाता है.

आज चाहे हिन्दू हो या मुसलमान या फिर अन्य वर्ग सिर्फ धार्मिक दिखावा, ढोंग पूजा आराधना के नाम पर शोर हो रहा है. इसमें दुःख की बात तो यह है कि इस दिखावे नामक अधर्म को धर्म के नाम पर परोसा जा रहा है,  हमारे देश में इन तथाकथित धार्मिक लोगो पर कानून का कोई डर नहीं रहा यदि कोई हो हुल्लड़ का विरोध करता है उसकी आवाज अधार्मिक कहकर दबा दी जाती है. में बता रहा था कि लोगो के माइंड इस तरह हाइजेक हो चुके है कि यदि कोई शांति, सद्भाव की बात करता है उसे कायर कहने में देर नहीं लगाते. आज आप किसी भी धर्म में समय के अनुसार धार्मिक सुधार की बात नहीं कर सकते उसे भी धर्म विरोधी माना जायेगा. कारण जितना अन्धविश्वास, पाखंड का बाजार बड़ा होगा धार्मिक गुरुओं की इतनी बड़ी चांदी कटेगी.

आज हम सब सोशल मीडिया पर विज्ञान के कारण है लेकिन हम विज्ञान की इस देन से धर्मान्धता का शिकार बनकर अन्धविश्वास फैला रहे है जबकि धर्म तो हमें समाज में जीने का तरीका बताता है, फिर यह समाज से जीने के हक छीनने का कारण कैसे बन सकता है? आज के युग में लोगों ने धर्म को केवल अपनी महत्त्वकांक्षओं को पूरा करने का साधन बना लिया है. कोई सच लिखे तो बकवास और अधार्मिक लोग. वो सात सौ छियासी या काली का फोटो डाले तो धार्मिक. ये आज कोई नहीं सोच रहा आप इन सबसे धर्म का नुकसान और पाखंडियों ढोंगियों धर्म के ठेकेदारों का फायदा कर रहे है…राजीव चौधरी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh