एक बार फिर कश्मीर का राग अलापते हुए नवाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान लगातार कश्मीरी लोगों के संघर्ष में उनका साथ देता रहेगा. दुनिया को अब भारत से कहना चाहिए कि “बहुत हो गया” भले ही पुरे विश्व के लिए उनका यह भाषण पुराना हो पर पाकिस्तान के लोगों और मीडिया ने इसे खूब सराहा. दरअसल पाकिस्तान में देशभक्ति का प्रमाणपत्र बिना कश्मीर मुद्दे के नहीं मिल पाता. इसलिए वहां जब-जब विपक्ष किसी प्रधानमंत्री को घेरता तो वो कश्मीर की आजादी का राग गाने लगता है. जिसके तुरंत बाद वहां की मजहबी तंजीमों को चंदा और सरकार को कुछ देर के लिए पंक्चर टायर की तरह हवा मिल जाती है और सरकार अपने कार्यकाल का कुछ फासला तय कर लेती है.
बहरहाल पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दा उस समय उठाया जब भारत में उत्तर-प्रदेश, पंजाब, गोवा समेत कई राज्यों को लेकर मारा मारी हो रही है कि आखिर ये प्रदेश किसके होंगे? इसलिए अब मेरे लिए भी नवाज का बयान कोई मायने नहीं रखता. पाकिस्तान की राजनीति ने भले ही 70 सालों में अपने आवाम को कुछ न दिया हो पर मनोरंजन खूब दिया. जैसे खाने के बाद कुछ लोग पाचक चूरण लेते है इसी तरह पाकिस्तानी मीडिया भी देर रात कश्मीर पर एक प्रोग्राम जरुर चलाती है ताकि अवाम इस सपने में सोये कि उनकी अगली सुबह गुलमर्ग की स्नोफाल में होगी!!
कई बार पता नहीं चलता पाकिस्तान विवादों का देश है या खुद विवादित देश? पाकिस्तान कहता है कश्मीर विवादित हिस्सा है, पर पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों पर गौर करें तो खुद पाकिस्तान ही विवादित हिस्सा नजर आता है. पाकिस्तान में हर तीसरे महीने बलूचिस्तान से लेकर गिलगित तक आज ये रैली, कल वो तंजीमों का जुलूस, परसों आतंकियों की शाहदत पर शोक, इसके बाद वहां पनामा पेपर तो पाकिस्तान के बच्चें-बच्चें के याद हो गये है सच कहे तो पाकिस्तान एक बिखरा हुआ देश है जिसमें उसके क्षेत्रफल से कहीं ज्यादा विवादित मुद्दे है. जब वो मुद्दे सर पर हावी होते उनका विपक्ष मुंह से झाग फेंकने लगता है तो वहां का प्रधानमंत्री कह देता है कश्मीर लेकर रहेंगे. इसके बाद कई दिनों तक वहां जश्न चलता है.
अभी कई रोज पहले नवाज शरीफ का पनामा पेपर मामला सुप्रीम कोर्ट पंहुचा तो नवाज शरीफ ने कहा “उसका जीवन खुली किताब है.” यह सुनकर सुप्रीम कोर्ट के जज “अज्बत सईद” को हार्ट अटेक आ गया. सुना है जब वो ठीक होंगे तो पुन: इस मामले पर सुनवाई होगी. फ़िलहाल पाकिस्तान की मीडिया कह रही है कि मुल्क कहाँ जा रहा है? न हमारी कोई विदेश नीति है, न कोई सुरक्षा नीति, देश को आगे बढ़ाने का प्लान सरकार को पता नहीं है, दहशतगर्दी पर कोई चर्चा नहीं होती, कौम को अँधेरे ने रखा जा रहा है, सीपेक पर जिससे जो हो रहा है वो अपने मन मुताबिक समझोते कर रहा है, पाकिस्तान के नागरिको को विदेशों में टेक्सी ड्राइवर पकड़कर थाने छोड़ आते है, यदि यहाँ से कोई पाकिस्तानी नागरिक एक दो महिना के लिए बाहर चला जाता है तो वापिस आने पर उसका घर नहीं मिलता उस पर दुसरे का कब्जा मिलता है.
पाकिस्तान ने न्यूज चैनल 24 पर तो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की नेता अल्ब्ब्सा बीबी ने यहाँ तक कह दिया कि गधे इस मुल्क को चला रहे है और पाकिस्तान एयरलाइन्स को बकरे, पूरा मुल्क अल्लाह के हवाले है. लेकिन इसके बाद भी नवाज शरीफ को कश्मीर चाहिए. पिछले कुछ हफ्तों के दौरान पांच ब्लॉगर लापता हो गए,. कुछ पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को धमकी मिली है. अहमदिया समुदाय पर हमले हुए हैं और शिया मुसलमानों का नरसंहार किया गया है. पाकिस्तान की सेना के नए सेनाध्यक्ष जनरल कमर बाजवा ने भी दोहरया है कि चरमपंथ देशी ख़तरा है ना कि विदेशी.
लेकिन इस सब के बाद भी पाकिस्तान शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की बात नहीं करता. उसे चाहिए अपने देश रोजगार के अवसर पैदा करे, नफरत फैलाने वाले भाषणों पर प्रतिबंध लगाने के साथ देश के युवाओं को चरमपंथ से प्रभावित होने से रोकने के लिए स्पष्ट रणनीति बनाये. बलूचिस्तान की परवाह करें वहां सेना द्वारा की जा रही हिंसा पर लगाम लगाये. नवाज़ शरीफ को समझना चाहिए “बहुत हो गया” कभी कश्मीर-कश्मीर के चक्कर में बांग्लादेश की तरह बलूचिस्तान भी वीजा लेकर जाना पड़े..राजीव चौधरी
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