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माफ़ करना, यह सिर्फ रेप करने का बहाना है..

लिखा रेत पर
लिखा रेत पर
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भारत में जब कोई चर्चा का विषय नहीं होता तो रेप, महिला छेडछाड़, दलित, अल्पसंख्यको आदि पर कार्यक्रम चलाकर देश को सुधार की और ले जाना का कार्य होता है. रेप हो या कोई छेड़छाड़ का मामला अक्सर न्यूज रूम में बैठे नेता ज्ञान झाड़ते मिल जायेंगे. अफसोस का विषय यह भी है जिन विषयों पर डॉक्टर मनोचिकित्सक या उसी विषय से जुड़े लोग होने चाहिए उनकी जगह नेता बैठे होते है. एक दिन तो वो नेता बुर्के और तीन तलाक पर ज्ञान पेल रहे होते है अगले दिन भारत पाकिस्तान के रिश्तों पर या रेप जैसे शर्मनाक कृत्यों पर .

खबर है नववर्ष के अवसर पर देश में कई जगह महिलाओं के साथ छेड़छाड़ हुई जो एक शर्मनाक हरकत थी पर घटना के बाद बयान भी उतने ही शर्मनाक आये जितनी शर्मनाक हरकत. मशहूर फिल्मी अभिनेत्री आयशा टाकिया के ससुर अबू आजमी ने इस पर कहा, “आधी पोशाक में देर रात पार्टी करना आंख मूंदकर पश्चिमी संस्कृति अपनाने जैसा है. यह कभी हमारी संस्कृति नहीं रही है. अच्छे परिवारों की औरतें चाहें वे महाराष्ट्र, गुजरात या उत्तप्रदेश की हों, वे शालीन पोशाक पहनती हैं और अधिकतर अपने परिवार के साथ होती हैं.”

अबू आजमी साहब समाजवादी पार्टी के नेता भी है और उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार है क्या वह बता सकते है कि बुलंदशहर एन.एच 91 पर अपने परिवार के साथ जा रही एक 12 साल की लड़की और उसकी माँ क्या अकेली थी? या शालीन पोशाक नहीं पहने थी? अपने परिवार के साथ थी पर दरिंदो ने फिर भी अस्मत रोंदी. या शालीन पोशाक का मतलब टीन का बंद संदूक होता है जिसके अन्दर नारी समाज को रहना चाहिए.

इसके बाद आवाज आती है. महिलाओं को भी भूलना नहीं चाहिए कि सुरक्षा घर से शुरू होती है और देर रात पार्टी करना भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है. चलो मान लिया छोटी पोशाक भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है पर कोई बता सकता है कि रेप करना और सरेराह लड़की के जिस्म से छेड़छाड़ करना क्या भारतीय संस्कृति का हिस्सा है? यहाँ तो लड़की को कब्र से निकालकर भी रेप के केस सामने आये है.

हमेशा रेप या महिला यौन उत्पीडन के बाद समाज के अनेक वर्गों से एक ही आवाज आती है जो अब एक प्रचलन का हिस्सा सा बन गयी कि कपडे छोटे थे, रात ज्यादा थी, लड़की अकेली थी, हमेशा इन बहानो से रेप और छेड़छाड़ होती रहती है और समाज भी इन सब कारणों को ही सच सा मान बैठा है. माफ़ करना मुझे लिखने में शर्म आ रही है आपको पढने में आएगी. क्या  इस तरह  तर्क देने वाले बता सकते है, कि आधी रात को इन सब परिस्थितियों में यदि किसी को उसकी सगी बहन या माँ मिल जाये तो क्या वो रेप कर देगा? अब कुछ लोग कहेंगे तू पागल है भला इतना गिरा हुआ आदमी कौन होगा. यार में भी मानता हूँ शायद ही कोई राक्षस इतना गिरा हुआ होगा जो यह काम करेगा. पर यह लोग दुसरे की बहन बेटी को देखकर क्यों गिर जाते है? क्या सिर्फ मान, सम्मान अपनी ही बहन-बेटियों का होता है? यदि नहीं तो फिर माफ़ करना यह सिर्फ रेप करना बहाना है.

दरअसल पिछले दिनों यौन हिंसा करने वालों पर एक लेडी मनोचिकित्सक की रिपोर्ट पढ़ रहा था वो लिखती है कि मुझे यौन अपराधियों के इलाज के दौरान उस इंसानी व्यवहार के बारे में पता चला जो आंखे खोलने वाला है. कई बातें ऐसे अपराधियों में अलग-अलग होती हैं लेकिन एक चीज है जो सभी यौन अपराधियों में एक जैसी है कइयों को भावनात्मक समस्या होती है. जो कई बार अपराधियों को योंन हिंसा के लिए उकसाती है सिर्फ गुस्सा एक ऐसी चीज है जो वो जब चाहे निकाल लेते हैं. इनमें से कई बदले की भावना से ग्रसित होते हैं. ऐसे लोग जीवन के हर क्षेत्र से आते हैं. आमतौर पर सबने देखा होगा स्त्री और पुरुष के झगड़े में पुरुष हमेशा स्त्री के योंन अंगो या उसके अप्रदर्षित अंगो को नोचने या तरोड़-मरोड़ देने की धमकी देता है. दरअसल यह एक रोग है और रोगी अपराधी की पहचान भी यहीं से शुरू होती है. और इस बीमारी को लोग संस्कृति, मर्यादा आदि की दवा से ठीक करना चाहते है, जो नहीं हो सकती.

अब यदि ऐसा है तो शर्म संकोच और संस्कृति के भाषण छोड़कर हमें यह बात माननी होगी कि समाज का एक तबका इस तरह की गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो चूका है. जिसकी चपेट में आकर कोई भी महिला शिकार हो सकती है. आज अधिकांश लोग अश्लीचलता और कामुकता और सेक्सुअलिटी से जीवन त्रप्त करना चाहते है. जिस कारण समाज कामुक हो रहा है. वो सेक्स पाना चाह रहा है. यदि उसे वह निवेदन से नहीं मिल रहा है तो उसकी कोशिश जबरदस्ती पाने की होती है. ठीक वैसे ही जैसे कोई कामचोर पैसा कमाने के लिए धन या अन्य जरूरी चीजों की चोरी करता है. वरना  सेक्स कोई जोर जबरदस्ती और मानसिक प्रताड़ना का हिस्सा नहीं होना चाहिए इसे तो नेचुरल होना चाहिए और प्रेम पूर्ण भी. जिसमे पुरुष के साथ-साथ स्त्री की भागीदारी भी बराबर हो वरना पिंक मूवी ने सबको बताया था कि “नो का मतलब नो होता है” चाहें इसमें आपकी पत्नी, गर्लफ्रैंड या कोई राह गुजरती अकेली लड़की हो..राजीव चौधरी

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