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प्यार और प्रेम सम्बन्ध

लिखा रेत पर
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इस सवाल के जवाब की चाह में सैकड़ों दार्शनिकों ने अपना जीवन इसकी व्याख्या में गुजार दिया. शायर और कवियों ने किताबें लिख दी. प्रेम के गीत भी बने और प्रेम पर फिल्मे भी. किसी ने इसे सबसे बड़ी दौलत कहा तो किसी ने जीवन का सारा सार इसी के निकट पाया. वहीं फ्रायड जैसे मनोचिकित्सक ने इसे पागलपन बताया. क्या है प्यार? क्या यह कामदेव का तीर है या फिर दिव्य नशा है?

मैं यह बात साबित करना चाहता हूँ कि हम प्यार एक प्रक्रिया के तहत करते हैं। जैसे कि हमारा एक उद्देश्य होता है कि लोग एक दूसरे को जाने, एक दूसरे पर विश्वास करें और एक दूसरे को माफ करना सीखें यानी असलियत में एक दूसरे के प्यार में पड़ जाएँ. ठीक उसी तरह जिस तरह कोई संगीत सीखा जाता है, लोगों के दिलों में प्यार की हिलोरें पैदा की जाएँ. लेकिन इसमें सबसे बडी दिक्कत तब होती है जब कई बार हम यह तय नही कर पाते कि प्यार किससे करें और कौन हमसे प्यार करें

हालांकि यह परेशानी स्त्री जाति के साथ ज्यादा होती है. क्योंकि प्रेम के ज्यादा निवेदन उसी के पास आते है. पुरूष निर्भीक है उसे हर एक आमत्रंण स्वीकार है. सबसे बड़ी बात वो एक से प्रेम करे या सौ से उस पर चरित्रहीनता का चाबुक भी नहीं चलता. तो चलो चलते है प्यार की दुनिया में जहाँ फूल, पत्तियां है, कसमें वादे है, जहाँ आंसू है और मुस्कान भी. यहाँ किसी को खोने का गम है तो किसी को पाने की खुशी

लेकिन दिक्क़त यह है कि लोग आपस में एक दूसरे को समझने का प्रयास तब करते हैं तब तक देर हो चुकी होती है और शादी अथवा संबंध टूट चुका होता है सच बात यह कि प्यार अलग अलग चरणो में विकसित होता है. पहले शारीरिक आकर्षण का दीवानापन, फिर स्वप्नलोक, फिर मजबूत लगाव और उसके बाद दौर आता है गहरे प्यार का जो अक्सर उम्र भर तक रहता है.

प्राणी जगत में हमेशा उम्र के साथ शुरू होता है एक सफर जहाँ सबको एक साथी की जरूरत होती है और यदि जरूरत मन मुताबिक हो तो क्या कहने! साथी ऐसा हो जिसे देखकर लोग कहे क्या बात है. अक्सर कहा जाता है जोड़े आसमान में बनते है पर यह कहावत उस टाइम कुछ निर्बल सी हो जाती है जब जोड़े सोशल मीडिया फेसबुक, ट्रेन, बस स्टॉप या नोटबंदी के दौरान बेंक में लगी लाइन में बन जाते है.

वक्त के साथ प्यार की शुरुवात वाला एहसास बदलने लगता है.  और या तो यह एहसास पहले से गहरा, मजबूत, होने लगता है, या कमजोर भी होने लगता है. जब तक लडकी या प्रेमिका प्रेम निमंत्रण स्वीकार नहीं करती तब तक सामने वाली खिड़की चाँद का टुकड़ा रहता. और जब स्वीकार कर ले तो वो चाँद का टुकड़ा खिड़की से निकलकर बिस्तर पर नजर न आये तो प्रेम अधुरा. दिक्कत ही यहीं आती है. जब एक दुसरे की बॉडी पर कब्जा जमाने लगता है दूसरा इसके लिए तैयार नहीं होता. हाँ अधिकांश लड़ाई कब्जे को लेकर भी होती है जब यह प्यार भावनाओं की पटरी से उतरकर शरीर की तंग गलियों में जाने लगता है. मतलब प्यार मुझसे किया तो शादी भी मुझसे वरना तू बेवफा हैं. है ना कब्जे को लेकर तकरार? हालाँकि ये भारत है लोगों की पहली कोशिश होती है कि यदि प्यार में करियर बन जाये तो किताबी जिन्दगी में क्यों मेहनत क्यों जाये मसलन बस फंस जाये कोई मालदार पार्टी.

प्यार के सेलेबस में हिंदी फिल्मे सबसे बेहतरीन सब्जेक्ट रहा है. सिर्फ तुम फिल्म हो या धडकन हर किसी की अपनी पसंद है. हर किसी का अपना अपना फेवरिट लव सांग होता है जहाँ सुनने पर आपको सिर्फ उसी की याद आती है और आपको ये लगता है कि उस गाने का हर शब्द आपको ही ध्यान में रखकर लिखा गया है. फिर एक दुसरे की गैर-मौजूदगी में खुद को अधूरा महसूस करते हैं? चाहे कितने ही लोग आपके साथ हों आपकी नजरें उसे ही खोजती हैं.

दरअसल प्यार कोई शब्द नहीं है बल्कि ये अपने आप में एक जीवन है. जहाँ आपसी विश्वास हो समझबुझ बराबर हो, जहाँ एक ना भी कहे पर दूसरा समझ जाये. हालाँकि फिर भी प्यार जब तक न हो जाए तो चैन नहीं, ना हो तो बेचैनी, हो गया तो समझना मुश्किल, ना हो तो जीना मुश्किल. समझ जाएं तो कहना मुश्किल, और कह दें तो जवाब का अनजाना डर. आखिर करें तो क्या करें? फिर लोग कहते है चलो प्यार करें...राजीव चौधरी

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