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बड़ा सवाल यह है कि विपक्ष किसका है?

लिखा रेत पर
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मीडिया “हलाला” का जिक्र करते-करते अचानक “हवाला” पर आ गयी और राहुल दस करोड़ के कोट से 500 के नोट पर. खैर लोग एटीएम पर है तो मोदी पेटीएम पर. कुछ दिन पहले विपक्ष की ओर से कहा जा रहा था गरीब आदमी भूखा मर रहा है सरकार कुछ नहीं कर रही है.मोदी सरकार सिर्फ पूंजीपतियों की सरकार है. अब कहा जा रहा है गरीब आदमी के पांच सौ के हजार के नोट नहीं बदले जा रहे है वो लाइन में खड़ा है वो परेशान है ये सरकार सिर्फ अमीरों की सरकार है. में विपक्ष द्वारा सबसे बड़ा भ्रमित इन्सान हूँ जो यह सोच रहा है कि आज जिसके पास 5 सौ, और हजार के नोट है तो वो कल भूखा क्यों मर रहा था? आखिर विपक्ष किस गरीब की बात करता है या विपक्ष की गरीबी की परिभाषा क्या है?

सवाल यह नहीं सरकार किसकी है? गरीब की, अमीर की? दरअसल किसी एक की नही सरकार  देश की है. बड़ा सवाल यह है विपक्ष किसका है? उम्मीद थी कि भ्रष्टाचार और काले धन पर हो रहे इस गुलाबी वार पर 2012 के रामलीला मैदान के व्यवस्था के परिवर्तक, स्वराज के दूत, सारे क्रन्तिकारी मोदी के साथ खड़े होंगे! पर लगता अब वो विपश्यना पर चले गये. खैर मुझे इस मामले में दो खुशी हुई एक तो मेरे पर्स में रखा 500 का नोट अपनी चिरनिंद्रा में लीन हो गया और दूसरी बात राहुल गाँधी के 4 हजार रूपये बदलकर गुलाबी हो गये. भला एक बेरोजगार इन्सान की मजबूरी भी हमें समझनी चाहिए !!

सुना है विपक्ष एकजुट हो रहा है, अब सब मिलकर गरीब आदमी को बताएँगे कि वो किस तरह परेशान है. अगर वो आज मोदी की बातों में आ गया तो उनका  क्या होगा? इससे देश में राजनैतिक गरीबी बढ़ेगी. हो सकता है नोटबंदी के खिलाफ पदयात्रा निकले, एटीएम मार्च हो, पांच सौ हजार के नोट को शहीद बताकर शोक वयक्त किया जाये. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले की मुखर आलोचना कर रहे हैं. इस मुद्दे पर चर्चा के लिए दिल्ली विधानसभा का एक विशेष सत्र मंगलवार को बुलाया है. इसमें केंद्र सरकार के इस फैसले पर चर्चा होगी. हो सकता है इसके बाद वो अपने की खिलाफ धरने पर बैठ जाये! लगता है आम आदमी से आम आदमी पार्टी परेशान है .

लोकसभा चुनाव के बाद मैंने मोदी जी का पूरा भाषण सुना. हालाँकि वो मन की बात अक्सर रेडियो पर करते रहते है पर न जाने क्यों वो मुझे राजनीति से प्रेरित लगती थी. लेकिन एक बार फिर उन्होंने गोवा में मानो कलेजा खोलकर रख दिया. 8/11 के काले धन पर हमले के बाद मोदी ने भावुकता के साथ कहा “मुझे बस पचास दिन का समय दीजिए. ये देश वैसा हो जाएगा जैसा आप चाहते थे. अगर उसके बाद मुझमें कोई गलती दिखे तो जो चाहिए सजा दें.”

भ्रष्टाचार खत्म हो, पर हमारी जेब चेक ना हो, काले धन की जाँच होगी, इस बहाने नेता जनता से वोट ले रहे थे जनता थी कि बेचारी इसी आस पर वोट दे रही थी कि काले धन की जाँच होगी. एक अरसे से राजनेता न्यायालय के न्यायालय राजनेताओ के भ्रष्टाचार की हिफाजत सी कर रहे थे. देश की अर्थव्यवस्था एक दुसरे की जेब में हाथ डाले खड़ी थी चलो कोई तो आया जिसने सबकी जेबे टटोली. लोगों को अपनी जेबे देखने को मजबूर किया.

जिस देश के अमीर बड़ी टेक्स चोरी करते हो उस देश का गरीब मजबूरी में छुटमुट चोरी का रास्ते तलाश करता है जिस दिन अमीर बड़ी चोरी छोड़ देगा गरीब भी दो पैसे आराम से जोड़ लेगा. बहराल कई दिनों से मुझे देश में न तो लोकतंत्र की हत्या दिखाई दी न कोई धर्मनिपेक्ष और सम्प्रदायिक कांड, न कहीं देश भक्ति का तमगा  है न किसी के गले में गद्दारी का ढोल. लोगों के दिमाग शून्य है यदि कुछ सूझ रहा है तो बस यही कि बाप बड़ा ना भईया सबसे बड़ा रुपया. राजीव चौधरी

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