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चीन की चाल सफल हुई ना ?

लिखा रेत पर
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पिछले काफी समय से चीन परेशान था, क्योकि पूरा विश्व चीन के सामने भारत को बराबरी पर रख देख रहा था| जबकि चीन अपनी बराबरी अमेरिका से करता आ रहा है और भारत की तुलना पाकिस्तान से होती रहे  चीन यही चाहता रहा है| इसी वजह से शायद चीनी मीडिया अपने मन में आवेश लिए  भारत को नीचा दिखा रहा था तब सरकारी चाइना डेली ने एक आलेख में कहा गया था कि अमेरिकी तकनीकी कंपनियों के लिए अगले बड़े मोर्चे के तौर पर भारत ने चीन की जगह ले ली है| अभी भारत उस मुकाम के नजदीक तक नहीं पहुंच पाया है, जहां चीन पांच साल पहले था। चीन की बयानबाजी बड़ी सधी होती है| उनके नेता राजनेता कभी भी कुतर्क भरे या जोश भरे बयान नहीं देते| जिन्हें भारत में देशभक्ति के बयान समझा  जाता है| उनकी देशभक्ति शायद देश को ऊँचा उठाने की है और हमारे देश में बयानों से राजनीति को ऊपर उठाया जाता रहा है| पिछले दो साल से पाकिस्तान हासिये पर था| वहां की मीडिया पानी तो दूर की बात थूक गटककर पाकिस्तानी सरकार को कोस रही थी| पनामा पेपर लीक मामले में नवाज शरीफ का नाम आ जाने पर तो एक समय लग रहा था कि हो सकता है पाकिस्तान को एक बार फिर सेन्य शासन झेलना पडे | अफगानिस्तान, ईरान और बांग्लादेश जैसे मुल्कों ने भी पाकिस्तान को उसकी औकात बताने में कोई कमी नहीं छोड़ी तो खाड़ी देशों ने भी पाक को नकार कर भारत को तरजीह दी| बलूचिस्तान हो या पीओके हर जगह बगावत के सुर फूट रहे थे|

यहाँ से आगे बढ़ने से पहले एक बात कि या तो हम भारतीय बहुत भावुक है या फिर अभी भी हम विश्व की कूटनीतिक चालो के सामने भोले भाले है| कई बार हम अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और रिश्तों में दिल और जज्बात से काम लेने लगते है| जो की कहीं न कहीं नुकसानदायक होता है| एक कहावत है जब दुश्मन गलती कर रहा हो तो उसे परेशान नहीं करना चाहिए| पाकिस्तान गलती पर गलती कर रहा था ठीक ऐसे समय पर जब वहां तख्तापलट होने वाला था उस समय बुरहान वानी की लाश से वहां की सत्ता पुनर्जीवित हो गयी| मै यह नहीं कहता कि बुरहान को क्यों मार दिया, देश विरोधी ताकतें खत्म होनी चाहिए पर सरकार और उसके मंत्रीमंडल के कुछ नेता जिस प्रकार आर्मी के एक आपरेशन को अपनी बड़ी कामयाबी के तौर पर सोशल मीडिया से लेकर मिडिया तक पर उसे लेकर बैठे वो कहाँ तक सही था? एक आतंकी था मारा गया बात खत्म| सब जानते है घाटी के लोगों ने 65% मतदान मोदी विरोध के लिए किया था और जम्मू के लोगों ने मोदी के पक्ष में, उसके बाद बना पीडीपी- बीजेपी गठबंधन, जो उन्हें कतई रास नहीं आया था| फिर सैनिको के लिए कॉलोनी की जमीन का सर्वे| इन सबसे लगता है अलगावादी नेताओं को वो चिंगारी मिल गयी जिसे वो कई साल से ढूंढ रहे थे| उसी चिंगारी ने आज वहां शोले बना डाले जिसकी आंच में अल्गवादीयों के चूल्हे पर पाकिस्तान अपनी रोटी सेकता नजर आ रहा है| हमे पाकिस्तान को नहीं कोसना चाहिए वो अपना दुश्मन होने का धर्म निभा रहा है| हमें अपनी कमी देखनी चाहिए कमजोरी देखनी चाहिए हम आज हर एक घरेलू मुद्दों पर तमाशबीन देश है| देश को शर्मशार करने वाली खबरे यहाँ 3 दिन जब चल लेती है तो तब सरकार हरकत में आती है उसके बाद नेताओं के बयान उसमें रंग डालते नजर आते है| खैर ये अलग मुद्दा है इस पर चर्चा यहाँ निरर्थक होगी|

उर्दू में भले ही पड़ोसी को लेकर एक कहावत हो कि हमसाया माँ जाया सा होता है लेकिन पाकिस्तान और चीन के संदर्भ में बात करे तो दोनों ही हमारे पड़ोसी है और दोनों ही दुश्मन| अभी ओलम्पिक पर देखिये किस तरह चीनी मीडिया में मजाक उड़ाते हुए कहा गया है कि जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है जबकि ओलंपिक में पदक हासिल करने के मामले में नीचे से दूसरे नंबर पर ही रहता है। वो अपनी जगह सही है बस हम ही खिसकते है बलूचिस्तान को लेकर मोदी जी ने जो कहा वो पुरे विश्व ने सुना मेरा मानना है इस बयान से लाभ बहुत कम और देश की प्रतिष्ठा को हानि ज्यादा होगी| लाभ सिर्फ इतना होगा कि बलूच लोग भावनातमक रूप से जुड़ते दिखाई देंगे और नुकसान यह होगा कि अब सीपेक कोरिडोर पर कोई भी आफत यदि बलूचिस्तान या गिलगित में आती है उसका सीधा दोषी भारत ठहराया जायेगा| दूसरा बलूचिस्तान को लेकर पाकिस्तान पिछले साल वहां पर पकडे गये एक भारतीय कारोबारी कुलभूषण जाधव को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समूह के सामने पहले ही डोजियर लिए खड़ा था कि देखिये जनाब ये पकड़ा गया भारतीय गुप्तचर एजेंट| अब यदि वहां एक पटाखा भी फटेगा तो मोदी के भाषण से जोड़कर पाकिस्तान पुरे विश्व को दिखायेगा| विदेशनिति अकेली नहीं होती उसके साथ मित्र राष्ट्र जुड़े होते है ये कहलो उसमे सबके हित-अनहित छिपे होते है पाकिस्तान कभी अमेरिका के इशारे की कठपुतली अब चीन की है उसे चीन अपने तरीके से नचाएगा| चीन का तरीका क्या होगा? यह कोई गहरा राज नहीं है बस पाकिस्तान द्वारा भारत को उलझाये रखना खुद उभरना और भारत को दबाये रखना| पाक की आड़ में और नेपाल लिए खजाना खोलकर पुरे हिमालय पर कब्ज़ा करना चाहेगा| अब यहाँ भारत के बयानवीरो को समझना होगा कि कोई भी देश बयानों से बड़ा नहीं होता रक्षामंत्री मनोहर परिकर का यह बयान भी कहीं न कहीं सभ्यता से दायरे से बाहर कि पाकिस्तान जाना नरक जाने जैसा है खासकर यह जानते हुए कि अभी वहां से राजनाथ सिंह और पिछले साल नरेन्द्र मोदी और उससे पहले उनकी पार्टी के बड़े नेता अटल जी वहां गये थे| पागल के साथ पागल होना कोई समझदारी का परिचय नहीं है| देश के गरिमामय पद पर बैठे लोगों को सोचना चाहिए कि हमारा लक्ष्य पाकिस्तान नहीं है हमें आर्थिक, सामाजिक आदि क्षेत्रों में आगे बढ़ना है तो हाफिज सईद जैसे लोगों के दो कोडी के बयानों से बचना होगा| सोचना होगा हम एक उभरती अर्थव्यवस्था वाले देश का प्रतिनिधित्व कर रहे है और पाकिस्तान के लोग एक दुसरे की जेब में हाथ डाले खड़े है| हमें पाकिस्तान को घरेलू मोर्चे पर यदि विफल करना है तो उसे नजरंदाज करना होगा| वरना चीन की चाल कामयाब होती रहेगी| राजीव चौधरी

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