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सिर्फ नारी ही बदनाम क्यों?

लिखा रेत पर
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शादी सात  फेरे, सात  वचन, जिसे एक नहीं सात जन्मों का पवित्र बंधन  कहा जाता है| किन्तु फिर भी आपसी झगड़े, अनबन मतलब कि आपके लिए वो वचन वो बंधन मात्र एक परम्परा रह गयी और शादी का अर्थ दो नग्न जिस्मों को सामाजिक पर्दे की ओट देने का काम रह गया है!! अधिकतर यहीं कहेंगे शायद हाँ, क्योकि अब जमाना आधुनिक हो गया| आज लोगों की नजरों में प्यार, अहसास, बंधन ये सब खोखली बातें हो गयी आज लोगों को पैसा, रुतबा, धाक चाहिए और इस धाक के लिए चाहे किसी को सुनाम या बदनाम क्यों ना करना पड़े| पत्नी को पति के, पति को पत्नी के और इन दोनों को बच्चों के अख़बार से फटे मन पढने की फुरसत अब कहाँ!! दिल्ली की रहने वाली वैशाली कुछ साल पहले तक एक प्राइवेट कम्पनी में  नौकरी करती थी| अक्सर उसे बच्चों को सुबह तैयार करने और पति को नाश्ता लंच देने के कारण ऑफिस लेट पहुँचने पर बॉस की लताड़ सुनने को मिलती थी, और जब भी वो किसी कारण ऑफिस से या ट्रेफिक जाम में फंसकर लेट होती तो पति का मन चाहा टेग सुनना पड़ता, कहाँ थी अब तक यारो के साथ? यहाँ से टूटता है विश्वास यहाँ से शुरू होता है वो शब्द जिसे लोग रिश्तों में धोखा कहते है| इस एक वार से मानों वैशाली के मन पर हजारो खंजरो के वार एक साथ होते थे| वो मन से दुःख विषाद की जितनी परत हटाती किन्तु पति द्वारा बातों-बातों में उसकी आत्मा को नोचने वाला कोई एक शब्द जरुर मिलता| रिश्ता बना रहे यह सोचकर आखिर पति का विश्वास जीतने को वैशाली ने एक दिन नौकरी छोड़ दी| किन्तु उसकी पीड़ा ने साथ नहीं छोड़ा जब भी वो मोबाइल या सोशल मीडिया का इस्तेमाल करती तो हमेशा यही सुनने को मिलता| अपने यारों से बात कर रही होगी!! क्या इसे आप रिश्ता कहेंगे या समझोता? वैशाली कहती है माना कि समाज के सामने दिखाने या बच्चों की परवरिस को लेकर दोनों साथ है पर मन में दुरी कोसों दूर की हो जाती है?
आप क्या सोचते हैं, साथ निभाने के बंधन में इस तरह की प्रताड़ना का शामिल होना जरूरी है? कुछ लोगों को लगता है कि इसके लिए फर्ज़ की भावना होनी चाहिए। एक पत्नी को त्याग समर्पण कर समझोता करना चाहिए किन्तु कब तक क्या इसकी कोई उम्र, या समय सीमा है? एक पति की मिसाल लीजिए जिसे पोर्न देखने की लत है। रात में लड़कियों से बात करता है| पत्नी के पूछने पर कहता है ऑफिस के मित्र है| अहसास कीजिये कि इस लत के बारे में उसकी पत्नी कैसा महसूस करती है..वो बताती है मेरे पति कहते हैं कि पोर्न देखने से हमारे बीच रोमांस और भी बढ़ेगा। लेकिन मुझे तो लगता है जैसे उनकी नज़र में मेरा कोई मोल नहीं और वे मुझसे खुश नहीं। वे जब भी देर रात किसी महिला से बात करते है तो मेरी पूरी रात रोते-रोते कटती है।”
आपको क्या लगता है, वह आदमी अपने शादी के बंधन को मज़बूत कर रहा है या उसे कमज़ोर बना रहा है?  क्या उसकी इस लत की वजह से पत्नी के लिए उससे हर पल वफा निभाना ठीक रहेगा? क्या वह दिखा रहा है कि वह अपनी पत्नी को अपना सबसे करीबी दोस्त मानता है? क्या ऐसे पुरुष को हम चरित्रवान कह सकते है? नहीं ना? तो फिर यदि पत्नी किसी ऑफिस या स्टाफ के किसी पुरुष के साथ बात कर ले तो वो चरित्रहीन कैसे? क्या चरित्र मापने के के सारे मापदंड स्त्री के तन से जुड़े होते है? एक स्त्री का मन आत्मा उसका स्वाभिमान रोज शब्दों द्वारा छलनी कर देना चरित्रहीनता नहीं है?
कुछ पति-पत्नी सिर्फ अपने बच्चों की खातिर एक-दूसरे से निबाह करते हैं, तो कुछ इसलिए कि वे शादी को परमात्मा का बनाया नियम मानते हैं। बेशक इन वजहों से शादी के रिश्ते को निभाना काबिले-तारीफ है और इनसे एक दिन लोगों को ज़िंदगी में आनेवाले तूफानों का सामना करने में मदद मिलती है। लेकिन सिर्फ फर्ज़ मानकर एक-दूसरे का जीवन भर साथ निभाना काफी नहीं। साथ निभाने के साथ एक दुसरे को भावना त्याग प्रेम ज़रूरत भी होती है। हर पल एक दुसरे को शक की नजरों से देखना उसे एहसास करना तुम गलत हो, तुम चरित्रहीन हो कहाँ तक सही है? मैं पिछले दिनों एक हालीवुड की मूवी देख रहा था उसमे नायिका लन्दन से जर्मनी जाती है नायक जो मूवी में उसका पति भी है रात्रि में फोन करता है| नायिका वहां अपने दुसरे पुरुष मित्र के साथ होती है फ़ोन काट देती है| अगले दिन नायिका वापिस आती है नायक शिकायती लहजे में कहता है कल मैंने फ़ोन किया तो काट क्यों दिया था? सॉरी में कल एडवर्ड के साथ थी हमने ड्रिंक किया इसके बाद हम बहक गये और मेने वो सब किया जो शायद मुझे नहीं करना चाहिए था, नायिका ने जबाब दिया| नायक ने कहा ठीक है मुझे ये सब पसंद नही फिर मत करना चलो अब मेरे लिए नाश्ता तैयार कर दो| मूवी देखने के बाद मै आज तक सोच रहा हूँ यदि यह घटना भारत में घटती तो क्या होता!! पहली बात तो महिला इसका जिक्र ही नहीं करती यदि कर देती तो क्या होता मारपीट, एडवर्ड की हत्या, मोहल्ले को इकट्ठा कर तमाशा, कोर्ट कचहरी, स्त्री पर जानवरों के नाम ले लेकर आरोप और तलाक| हो सकता है हत्या तक की नौबत आ जाती| मैं यह नहीं कह की उसने सही किया या गलत पर उसने अपने पति को सच बताया और पति ने सच सुनकर रिश्ते में अहमियत उसके तन के बजाय उसके मन को दी| आवेश में उत्तेजना में गलती कोई भी कर सकता है, चाहे  विश्वामित्र मेनका के साथ उत्तेजना में ही क्यों ना कर बैठे!!  रिश्तों को समझिये उनकी परिभाषा समझिये| आप कैसे किसी के मन पर हमला कर कैसे  तन के मालिक हो सकते है| जिसे जहाँ अपने मन को समझने वाले मिलेंगे वो  वहां मन भी अर्पण कर दे तो पाप क्या हुआ चरित्रहीनता क्या है? यदि ऐसा करने पर यदि कोई चरित्रहीन है तो फिर संसार की 80 फीसदी महिला और 98 फीसदी पुरुष चरित्रहीन है|..rajeev choudhary

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