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क्या तलाक जीत का प्रतीक है?

लिखा रेत पर
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हम सब किसी ना किसी रिश्तों में बंधे होते है, वो भी बिना जंजीर के, कोई रस्सी हमे नही बांधती फिर भी हम जिम्मेदारी, परम्परा, न्याय और स्वतन्त्रता की चाहत लिए निबाहते रहते है| इन सबके साथ जो सूक्षम चीज हमे एक धागे में पिरोती है वो है भावनाएं, अहसास, प्यार, लगाव, विश्वास और समर्पण| लेकिन आज के समय में ये बंधन धीरे-धीरे कमजोर होते जा रहे है और आये दिन रिश्तों में दुरी बढती जा रही है पति-पत्नी में तलाक के केश बढ़ते जा रहे हैं। इन सभी केशों में ज्यादातर तलाक लड़के और लड़की के बीच आपसी समझबुझ की कमी या माँ-बाप और रिश्तेदारों की वजह से होते हैं। एक समय था जब बच्चों के लिए वर वधु तलाशना परिवार के मुखिया, माता-पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी समझी जाती थी| पर आज ऐसा नहीं है चलो अच्छा हुआ आज का युवा जिन्दगी के फैसले लेना खुद सीख गया है खासकर वो भी शादी जैसा, जो जीवन का सबसे अहम् फैसला माना जाता रहा है| दरअसल हर रिश्ते की अपनी खूबसूरती और आर्कषण होता है, फिर चाहे वो लव मैरिज हो या अरेंज मैरिज युवाओं में आजकल लव और अरेंज मैरिज को लेकर काफ़ी बहस होती है और कई वैचारिक मतभेद निकल कर सामने आते हैं। अरेंज और लव मैरिज वाले अपने-अपने तर्कों से एक दूसरे को संतुष्ट करने में लगे रहते हैं, लेकिन इस बीच हम इस महत्वपूर्ण बात को भूल जाते हैं कि रिश्तों की मज़बूती आपसी समझदारी से बढ़ती है, फिर चाहे आपने शादी से पहले प्यार किया हो या शादी के बाद करने जा रहे है। आज युवाओं को सोचना होगा आप पुरानी परम्परा तोड़कर एक नई परम्परा को जन्म दे रहे है तो इसकी वस्तुनिष्ठा भी बचाएं रखना होगा|

अभी कुछ रोज पहले एक घटना सुनी थी कि पति पत्नी के तलाक के बाद पत्नी ने कहा आप जो चाहते थे वही हुआ। तुम्हें भी बधाई। तुमने भी तो डिवोर्स दे कर जीत हासिल की। पति बोला।

क्या तलाक जीत का प्रतीक होता है? पत्नी ने पूछा। तुम बताओ? फिर बोली, तुमने मुझे चरित्रहीन कहा था। अच्छा हुआ। अब तुम्हारा चरित्रहीन औरत से पीछा छूटा।

वो मेरी गलती थी। हमेशा से पुरुष के पास एक ही हथियार रहा है। और पुरुष इसी हथियार से स्त्री पर वार करता है, जो स्त्री के मन और आत्मा को लहू-लुहान कर देता है| तुम्हारी आत्मा पवित्र है तुम बहुत उज्ज्वल हो। मुझे तुम्हारे बारे में ऐसी गंदी बात नहीं करनी चाहिए थी। मुझे बेहद अफ़सोस है, पति ने कहा|
पत्नी चुप रही, उसने एक बार पति को देखा। कुछ पल चुप रहने के बाद पति ने गहरी साँस ली। कहा, तुमने भी तो मुझे दहेज का लोभी कुत्ता और ना जाने क्या-क्या कहा था।

हाँ वो मेरी गलती थी, में भी गुस्से में तुम्हारे स्वाभिमान पर चोट करना चाहती थी जैसे तुम मुझे चरित्रहीनता के शब्दों से खरोंचते थे| कहते –कहते पत्नी की आँखे सजल हो गयी| पति ने कहा क्या बिना रिश्ते के कोई किसी के आंसू पोंछ सकता है? हाँ यदि अपनापन हो तो शायद पत्नी ने कहा|

कुछ पल खामोश बीते पति ने कहा चार लाख नकद के बजाय तुम मेरा फ्लेट ले लेना क्योकि अभी मेरे पास नकद रूपये नहीं है|

पत्नी बोली वो तो बहुत महंगा है में क्या करूंगी तुम 6 हजार तो हर महीने दोगे ही मेरा काम चल जायेगा| उस फ्लेट को बेटी की शादी के लिए रखो,

पति निशब्द बैठा रहा अब तुम्हारा शुगर कैसा है पत्नी ने पूछा, नार्मल है पति ने जबाब देते हुए कहा याद आई थी मेरी? हाँ कई बार बहुत आती है और तुम्हे? मुझे भी बहुत आती है|

अबकी बार पति ने हिम्मत बांधकर कहा मुझे पता है तुम मना कर दोगी चलो फिर से दोनों साथ रहते है! पत्नी ने पूछा किस रिश्ते से? एक अच्छे दोस्त के रिश्ते से पति ने जबाब दिया| किन्तु ये तलाक के कागज पत्नी ने दुखी स्वर में पूछा? पति ने कहा फाड़ दो दोनों उठकर साथ चले गये रिश्तेदार देखते रह गये|

वैसे देखा जाये तो थोडी बहुत तकरार आम बात होती है। पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी तकरार होती ही रहती है। अगर यह न हो तो जीवन नीरस बन जाएगा। पति-पत्नी के बीच बिना किसी ठोस वजह के झगडा या तकरार हो या अपने साथी को आहत करना अथवा उस तकरार को संबंधों में कडवाहट लाने की वजह बनाना ठीक नहीं है। तकरार को कुछ देर बाद भूल जाएं या जिस की गलती हो वह गलती मान ले तो स्थिति सामान्य हो जाती है। वैसे भी पति-पत्नी का रिश्ता ऎसा होता है कि चाहे कितना भी झगडा क्यों ना हो जाए, उन के बीच मनमुटाव बहूत देर तक कायम नहीं रह सकता है। झगडना एक स्वाभाविक प्रवृति है इसलिए कोई भी व्यक्ति इसे अछूता नहीं रह सकता है। पति पत्नी को बर्थडे विश करना भूल गया तो तकरार हो गई। पत्नी ने पति के कपडे साफ कर नहीं रखे तो तकरार, या अगर वादा करके पति समय पर घर नहीं आया तो तकरार हो गई। यानी तकरार  की अनगिनत वजहें हो सकती हैं। लेकिन तकरार इसलिए नहीं होती कि वे एक-दूसरे को पसंद नहीं करते हैं, बल्कि इसलिए होती है, क्योंकि दोनों एक-दूसरे को बेहद प्यार करते है| सचाई तो यह है कि कोई भी इंसान परफैक्ट नहीं होता है। कमी हर रिश्ते की तरह पति-पत्नी के रिश्ते में भी होती है। आपसी जुडाव तभी उत्पन्न होता है, जब एक साथी को यह पता हो कि दूसरा साथी क्या सोच रहा है या क्या महसूस कर रहा है। इस का अर्थ यह हुआ कि विचारों की भिन्नता को एकदूसरे के समक्ष लाना न कि चुप रह कर मन ही मन घुलते रहना। बोल कर, अपनी राय दे कर इस नतीजे पर पहुंचना कि क्या सही है और क्या गलत, एक स्वस्थ रिश्ते की निशानी है। बहस से बचने के चक्कर में अगर झगडा न किया जाए तो समस्या गंभीर बन सकती है और रिश्ते में दरार भी आ सकती है। जिन्दगी को यदि सच में एन्जॉय करना है तो रिश्तों को निभाना सीखना पड़ेगा| घर को रिश्तों की महक से गुलजार करे दीवारें तो खंडहर में भी होती है……राजीव चौधरी

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